Mansi savita

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लेखनी प्रतियोगिता -04-Jan-2023

देख ना मुझे आज याद बहुत आती है
वो मिट्टी की सौंधी खुशबू अब वापस कहा आती है
हो जाती आंखे नम सी सुकून नहीं पाती
अपने पुराने घर की याद बहुत आती है

एक बार की बात है मेरा बरसो पुराना घर जो मेरे दादी जी की मम्मी ने उन्हें सौंप सा दिया था
तोहफे के रूप में ।क्योंकि मेरे दादा जी दादी के वक्त तमाम दिक्कतो का सामना करना पड़ा।
दादी जी की मां से देखा न गया उन्होंने ये पुराना किराए का घर उन्हें सौंप दिया ,उनके देहावसान के बाद दादी दादू रहा करते थे,उसे दादी मां ने खुद हाथो से सजाया था।मेरे पापा चाचा 2bua aur दादी दादू और भी रिस्तेदार भी आ जाया करते थे ,शहर में मिट्टी का घर सा था जिसे थोड़ा खुद के हाथो से बनाया गया था बात घर की नही बात अपनो की थी।58वर्षो हो गया मेरे दादी के शादी के गुजरे तबसे उस घर से यादें जुड़ी थी,किराया दिया जाता था पर पुराने किराए दार थे शुरुआत औने पौने रुपए के किराया , मैं जब से पैदा हुई थी एक छोटी सी खिड़की जिसमे मैं बैठ हमेशा खाना ही क्या पढ़ाई करना पड़ोसियों से गासिप रात को लाइट न आने में उस खिड़की में सो ही जाना,वो घर से लगाव बहुत था 21वर्ष तक हमने भी वही गुजारे थे जीने में झूला सा हुआ करता था जिसमे बैठ पड़ोस के बच्चे अक्सर झूला झूल करते थे,पड़ोसी कम हम सब घर के हिस्से मानते थे क्योंकि एक दूसरे के घर जुड़े थे घर ही नही दिल जज़्बात रिश्ते सब जुड़े थे एकता का मिसाल था।मैं नहीं जब घर बिक गया सुनकर मानो मातम सा झा गया मानो मैं हर रोज टाल देती घर की बात सुन अरे ऐसा नहीं होगा ,सबके सपने होते अच्छे फ्लैट मिले पर मेरा नही था मैं आज भी yaवक्त बदलता गया इस पूरे घर को मानो नजर ही लग गई थी एक बिल्डर ने उसे खरीद लिया था , प्रार्थना भी काम नही की और टूट गया मेरा घर मिला फ्लैट बदले में पर वो बात नही है।टूट गई अंदर से याद कर करके उस घर को फ्लैट है सब है वो बात नही जिसमे गुजारा बचपन वो अपनेपन सा बात नही है।
पुराने घर पुराने होते उनकी जगह कोई नही ले सकता।

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5 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 09:23 PM

Very nice

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Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:25 PM

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:11 PM

बहुत खूब

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